संवाद

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तुम मुझसे प्रेम तो करते हो लेकिन विवाह नहीं कर सकते। ये कैसा प्रेम है अरुण?

मैं विवाह नहीं कर सकता तो प्रेम भी नहीं कर सकता। ये कैसा प्रेम है विधु?

प्यार और विवाह एक दूसरे के बिना अधूरे हैं अरुण।

तो क्या राधा ने कृष्ण से प्यार नहीं किया?

हीर ने रांझा से प्यार नहीं किया?

बारिश की बूँद ने फूल से प्यार नहीं किया?

बादल ने नदी से प्यार नहीं किया?

प्रेम में पा लेना ज़रूरी तो नहीं विधु?

विधु ने खीज कर कहा – तुमसे तो बात करना ही बेकार है। 

ये क़िस्से कहानियाँ हैं अरुण, वास्तविक जीवन में ऐसा कुछ नहीं होता। इन वादियों में बैठ पहाड़, नदी, आसमान, बादल इन सबको निहारते हुए कुछ दिन तो बिताया जा सकता है मगर जीवन नहीं  बिताया जा सकता। यहाँ आना और कुछ दिन ठहर वापस लौट जाना होता है, शहर में ज़माने में, समाज में। 

ह्म्म्म्ममम

यह कहकर अरुण चुप हो गया और आसमान की तरफ़ ताकने लगा।

 यह सोचते हुए की उसका प्रेम कौन सा प्रेम था? वास्तविक दुनिया का काल्पनिक प्रेम या काल्पनिक दुनिया का वास्तविक प्रेम। आसमान को ताकते हुए नज़र पहाड़ की चोटी पर पड़ी और सोच का बादल १ तंग वादी में जा फँसा।

वह सोचने लगा – पहाड़ों ने उससे कभी क्यूँ नहीं पूछा कि वो उनके प्रेम में पड़कर हमेशा के लिए उनके साथ रहेगा या नहीं। पहाड़ कभी उससे लड़ते क्यूँ नहीं? कोई शिकायत क्यूँ नहीं करते? उनसे तो वह विधु की तरह रोज़ रोज़ मिलता भी नहीं। हफ़्तों या कभी कभी तो महीनों में आता है वो उनके पास मगर वह हर बार उसे उसी स्नेह, प्रेम और बेसब्री से मिलते हैं जैसे दूसरी बार मिले थे। 

दिमाग़ ने कहा क्यूंकिं वे बेज़ुबान हैं। दिल तुरंत खड़ा हो अपने और पहाड़ों के बीच के असंख्य संवादों की दलीलें देने लगा। दिल उन सब समवादों की याद दिलाने लगा जो दिमाग़ ने भी सचमुच महसूस किये थे। तब दिमाग़ चुप हो गया। अब मन की बारी थी, दिल और दिमाग़ के कंधे पर हाथ रख यह तीसरा मित्र खड़ा हुआ, दिमाग़ ने पूछा भई अब तुम कहाँ चल पड़े? 

मन  ने कहा तुम उलझे रहो इस दुनिया के रीति रिवाज़ और बंधनों में जकड़े प्यार में। मैं तो चला।

दिल ने कहा – मगर चले कहाँ? यह तो बताते जाओ।

मन  ने उँगली पहाड़ के सबसे ऊँचे सिरे की तरफ़ उठाई और कहा, जहाँ  प्यार को आँका नहीं जाता, ना ही तौला जाता है। वहाँ ना कोई प्यार करने पर सवाल करता है और ना ही प्यार के भविष्य पर सवाल उठाता है। 

दिमाग़ ने एक लम्बा ह्म्म्म्म्म भरा और उस ओर ताकने लगा।

दिल ने कहा, सही कह रहे हो। चलो मैं भी चलता हूँ, इस ज़माने से और इनके सवालों से थक गया हूँ अब।

मन  ने पलट कर कहा – और विधु?

उसका क्या होगा?

रह पाओगे उसके बिना?

दिल ने मायूसी से सिर झुका लिया।

मन मुस्कुरा दिया।

अरे! अरे! उदास नहीं होते।

देखो दिमाग़ भी तो बैठा है यहीं अपनी उलझनों के साथ।

तुम भी बैठो अपनी विधु और उसके संग बिताए उन पलों की यादों के साथ जब वह तुमसे इतने सवाल नहीं करती थी। 

मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ ना दिल का काम है ना दिमाग़ का।

दिमाग़ वहाँ पहुँच कर भी अपने सवालों के जवाब ढूँढता रहेगा और तुम (दिल) अपनी यादों की पोटली का वजन लिये, चलते चलते थोड़ी ही देर में थक जाओगे और फिर वहाँ से लौटना चाहोगे। तो तुम दोनो यहीं ठहरो और मैं चलता हूँ। 

दिल और दिमाग़ अब ख़ामोश थे और पर्वत की ऊँचाई की और देख मन से ईर्ष्या कर रहे थे।

मन ने एक लम्बी छलांग मारी और पर्वत की दिशा में बढ़ती एक चील की पीठ पर जा बैठा।

चील मन को लिये उड़ चली पहाड़ के उस सब से ऊँचले सिरे की ओर जहाँ दिल और दिमाग़ कभी ना पहुँच पाएँगे।

मन उड़ा चला जा रहा था।

अरुण चुपचाप बैठा पहाड़ को ताक रहा था। 

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और विधु?

क्या वह अब भी वहाँ ठहरी थी अरुण के जवाब के लिये या जा चुकी थी?

मन और विधु में से अरुण किसको चुनेगा?

Note :

meaning of अरुण : Sun

meaning of विधु : moon

– पहाड़ प्रेमी

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Published by HimalayanDrives

While living in a city, I often escaped to the mountains to keep a balance within me. These short visits to the Himalayas and a journey of 100 days in Himachal brought me closer to nature and I started listening to the whispers of nature. This page is about converting those whispers to words and carry nature's message for all. I mostly travel solo but sometimes organise trekking camps for people who want to reach closer to nature. Join me for these trips and explore the unexplored.

2 thoughts on “संवाद

  1. So beautiful.. aisa laga jaise ye samvad bahot jaana pehchaana hai 🙂 Kaash Mann jaisi saralta dil aur dimaag ke paas bhi hoti 🙂

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    1. Ji ye samvaad har insaan ke dil dimaag aur man ka hai. dimaag aur dil ki pechidagi me ham wo karna chhod dete hain jo man karta hai. agar in dono ko chup karwa diya jaaye to man ki karna asaan ho jaata hai!

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