आज चाँद धरती के निकटतम होगा,
खुद को धरती के इतना क़रीब पा,
चाँद ख़ुशी से खिल उठेगा,
ख़ुशी से वह अपने पूर्ण रूप में लौट,
धरती को अपना चमकता चेहरा दिखलाएगा ।
कई दिनों के इंतज़ार के बाद,
ये दोनों चाहनेवाले,
एक दूसरे के बेहद क़रीब होंगे,
पेड़ नाचने लगेंगे,
चकोर चहकने लगेगा,
सागर बहकने लगेगा ,
आसमान प्रज्वलित हो उठेगा,
तारे छिप जाएंगे,
पंछी भोर व रात्रि का अंतर भूल जाएंगे,
इंसान इस रूप को देखने के लिए
सब छोड़ छाड़ मुंडेर पर चढ़ बैठेंगे,
अन्धकार का प्रतीक जंगल भी,
चाँद की रौशनी में चांदी सा चमक उठेगा,
जंगल के जानवर चाँद के इस रूप से मन्त्र मुग्ध हो,
अपनी भूख भी भूल जाएंगे।
अपने प्रियतम को इतना करीब महसूस कर,
धरती के तन मन में खिंचाव का एक भूकंप उठेगा,
और उसके भीतर हलचल मचा देगा,
धरती के सीने (सागर) तल में एक ज्वार उठेगा,
धरती अपनी लहरों रुपी बाहों को ऊपर उठा चाँद को छू लेना चाहेगी,
हिमालया अपनी और ज़्यादा ऊंचा ना उठने की प्रतिज्ञा पर क्षुब्द हो उठेगा,
धरती को अपने प्यार में व्याकुल देख,
धरती के रोम रोम को छू लेना चाहेगा
किंतु बस देख भर रह जाएगा।
इन दोनों के मिलन की व्याकुलता को देख
सृष्टि में उथल पुथल मच जायेगी,
मगर फिर भी इनका मिलन ना हो सकेगा,
दोनों अपनी कसमों में बंधे
एक दुसरे को बस देख भर रह जाएंगे,
पर छू ना पायेंगे!
चाँद धरती के इतना करीब आ
एक बार फिर अपनी राह पर चल पड़ेगा,
एक मुसाफिर की तरह ,
रातों को भटकते फ़कीर की तरह,
प्यार में तड़पते प्रेमी की तरह।
क्षोभ और दुःख में वह अपना तेज़ खोने लगेगा,
देखते ही देखते
चाँद गुमनामी के अँधेरे में डूब जाएगा
और विलुप्त हो जाएगा।
मगर पृथ्वी के लिए उसका प्रेम,
उसे उस अन्धकार से वापस खींच लाएगा,
चाँद धीरे धीरे अपना अकार बढ़ा,
पृथ्वी के करीब पहुँचने की जुगत में फिर लग जाएगा,
क्यूँकि प्रेम, प्रेमिका की प्राप्ति भर तक सिमट नहीं जाता,
प्रेम सदैव अमर रहता है,
दो चाहने वालो के दिलों में।
ना जाने इनका ये अमर प्रेम,
कितने लाखों वर्षों से चलता आया है
ना जाने ये अमर प्रेम
कितने करोड़ों वर्षों तक यूँ ही चलता रह जाएगा।

Intense Love 🙂
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