यूँ तो भूल गया हूँ मैं तुझे।
तेरे चेहरे को,
तेरी आँखों को,
तेरी बातों को,
तेरी यादों को,
तेरी पलकों के झपकने को,
तेरे लबों के थिरकने को,
संग बिताई उन रातों को,
अलग होती हर सुबहों को,
विदा लेते वक्त,
तेरे वादों को।
हाँ, युँ तो भूल गया हूँ मैं,
तेरे संग बिताए हर लमहे को।
पर एक शाम है,
जिसे मैं भूला नहीं पाता,
एक अरसा बीत गया है,
उस शाम को बीते हुए,
पर मैं अब भी,
उस शाम से आगे गुज़र नहीं पाता।
सर्दियों की एक शाम,
गर्म यादों से भरी एक ठंडी शाम,
तेरे संग बिताई एक शाम।
2 जोड़ी लबों का
एक ही चाय की प्याली को
फूँक फूँक कर पीना,
चाय की चुस्कियों के बीच,
मेरी बातों पर,
तेरा खिला खिला कर हँस देना,
उस खिलखिलाती हँसी के बीच,
एक अर्ध-विराम लगा,
“पागल हो तुम” कह,
मेरे बालों को सुलझाने लग जाना।
चाय के चुस्कियों के अंत में,
अपनी उँगलियों के बीच,
तेरी उँगलियों को महसूस कर,
अपने हाथ का पूरा होने के अहसास पाना,
गर्म हाथ को जकड़,
ठंडी शाम की सैर पर निकल जाना,
कुछ दूर चल,
फिर ठहर जाना,
भुला नहीं पाता मैं
लैम्प पोस्ट की पीली धीमी रौशनी में,
तेरे चेहरे को ताकना।
हाँ भुला तो चुका हूँ मैं तुझे,
मगर कुछ है जो अब भी भुला नहीं पाता।
दो अलग इंसानों का,
एक जैसे सपने बाँटना,
उन सपनों को सच मान,
ख़ुशी से तेरा झूम उठना,
सिर उठा और बाँहें फैला,
पेड़ों के झुरमुट के बीच से
आसमान की और मुख कर ,
गोल गोल घूम, मोर सा तेरा नाचना,
और फिर घूमते घूमते,
चक्कर खा मेरी बाहों में गिर जाना।
तेज़ चलती साँसों के बीच,
मेरे लबों को धीमे से चूम,
मेरी आँखों में झांकना,
तुम्हें यूँ बदहवास सा देख
मेरे होश खो जाना,
और अगले ही पल,
दो आत्माओं का एक हो जाना।
ये शाम है जो,
मैं भुला नहीं पाता,
तेरी हर याद को मिटा कर भी,
मैं इस शाम को मिटा नहीं पाता,
एक अरसा बीत गया है
पहाड़ों कि उस सर्द शाम को जिये हुए,
एक अरसा बीत गया है,
तुझे मिलकर खुद को पाए हुए।
हाँ भुला चुका हूँ मैं तुझे,
मगर वो शाम मैं भुला नहीं पाता।

Felt like koi voiceover chal raha n sab visualise ho gaya 😍
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