वर्तमान का सूरज

मैं अब तक समझ नहीं पाया हूँ कि उस रिश्ते को कहते क्या हैं जो दो इनसानों को खामोशी के बंधन से बाँध उन्हें अपेक्षाओं के समुंदर से कहीं दूर ले जाता है। छोटी सी एक पहाड़ी के ऊपर जहाँ बैठ दोनों नीचे फैले अथाह समुंदर के छोर पर लाल सूरज को ताकते रहते हैं।