वो शाम

यूँ तो भूल गया हूँ मैं तुझे।

तेरे चेहरे को,
तेरी आँखों को,
तेरी बातों को,
तेरी यादों को,
तेरी पलकों के झपकने को,
तेरे लबों के थिरकने को,
संग बिताई उन रातों को,
अलग होती हर सुबहों को,
विदा लेते वक्त,
कभी पूरा ना हो सकने वाले
तेरे वादों को।

मगर…

मैं पेड़ हूँ 

पंछियों का घरौंदा,
तो पथिकों का आरामगाह,
बूढ़ों का साथी,
तो बच्चों का सारथी,
ना जाने मेरे कितने ही नाम हैं,
पर मैं तो केवल एक पेड़ हूँ,
एक बूढ़ा तनहा, सिसकता पेड़।

प्रकृति का संगीत उत्सव

अब असंख्य बादल पानी बरसाए जा रहे हैं,
संगीत निरंतर बज रहा है,
झींगूर नाचे जा रहे हैं,
मेंढक टर टरा रहे हैं, 
धरती भी झूम उठी है,
महसूस  होता है,
प्रकृति आज संगीत उत्सव मना रही है,

सूखे वृक्ष का संदेश

खुद को जड़ कर,
भीतर अपना रस संजोए,
वृक्ष उस वक्त के इंतज़ार में है,
जब हवा में नमी लौट आएगी,
और प्रकृति की कठोरता पिघलने लगेगी।

सर्द सुबह

वो ओस से भीगी सड़क,तेज़ हवाओं के बीच,पेड़ों के झुरमुट की झड़प,सर्दियों की सुबह,और सुनसान राहों की तलब। जमीं पर उतर आए बादलों में,हमारा ज़माने से छिप जाना,हाथों में हाथ डाल,तेरा, मेरे कंधे पर झुक जाना,जैसे बसंत में किसी टहनी काफूलों से लद जाना। पर किसी की आहट सुन,तेरा झट से अलग हो जाना,और फिरContinue reading “सर्द सुबह”

अफ़वाह

एक अफवाह है ज़माने में ,के कई मुसीबतें हैं दिल लगाने में ,कुछ आग के दरिया की बात करते हैं,तो कुछ मुहब्बत में फना हो जाने से डरते हैं। सुना है दिल टूटे जो किसी कातो शायर बन जाता है,और मिल जाए मुहब्बत किसी कोतो दुनिया से तर जाता है। ना जाने कुदरत की दीContinue reading “अफ़वाह”

बचपन

हँसता खेलता बचपन ,खिलौनो कि लालसा से भरा बचपन,शरारतों का प्रतीक बचपन,भाई, बहन से खिलौनो के लिये लड़ता बचपन,कुछ ऐसा था मेरा बचपन। पर आज सडक पर, ये कैसा दिखा बचपन ?शरारतों से परे, गुमसुम बचपन,खिलौनो से भरा, मगर सूनी आँखों वाला बचपन,अपने खिलौने खुद ही बेचता बचपन ?गरीबी के बोझ से दबा बचपन,भूखा मगरContinue reading “बचपन”

अब लिखने लगा हूँ

ना जाने तुम कहाँ हो, कैसी हो,किस प्रांत, शहर, या देश जा बसी हो?सालों से तुमको सुना नहीं,चेहरा तो याद है अब भी,पर बरसों से तुमको देखा नहीं। वो तीखे नयन,गुस्से क भार उथाए,ऊँची और सिकुड़ती नाक,बड़ा सा बल खाया माथा,उस पर लटकती 1 लट,और वही सुबह की ताज़ी चाय सी मुस्कान,सब कल ही कीContinue reading “अब लिखने लगा हूँ”

Treadmill

Modern life is like a treadmill You keep running, But the land below you keep drifting back Despite running all your life, You reach nowhere, You keep running in a loop. And one day, One day, that treadmill suddenly stops with a jerk And you fall on your face, After a few minutes of painContinue reading “Treadmill”

My Darkness and Your Light

My heart is full of darkness, A den of devils who not only live there, But feed on my soul and massacre my emotions with flare They often force me to act as per their will, If my soul denies, they threaten to kill, At nights, they drag me and attempt to convert into oneContinue reading “My Darkness and Your Light”