वो शाम

यूँ तो भूल गया हूँ मैं तुझे।

तेरे चेहरे को,
तेरी आँखों को,
तेरी बातों को,
तेरी यादों को,
तेरी पलकों के झपकने को,
तेरे लबों के थिरकने को,
संग बिताई उन रातों को,
अलग होती हर सुबहों को,
विदा लेते वक्त,
कभी पूरा ना हो सकने वाले
तेरे वादों को।

मगर…

पूर्णमासी की रात

आज चाँद धरती के निकटतम होगा, खुद को धरती के इतना क़रीब पा, चाँद ख़ुशी से खिल उठेगा, ख़ुशी से वह अपने पूर्ण रूप में लौट, धरती को अपना चमकता चेहरा दिखलाएगा । कई दिनों के इंतज़ार के बाद,  ये दोनों चाहनेवाले, एक दूसरे के बेहद क़रीब  होंगे,  पेड़ नाचने लगेंगे, चकोर चहकने लगेगा,  सागर बहकने  लगेगा ,Continue reading “पूर्णमासी की रात”

किताब

शादी के बरसों बाद आज घरआई थी मैं। पता ही नहीं चला के कैसे बरसों बीत गए, बीते कुछ सालों को जिया तो है मैंने मगर महसूस नहीं किया। सुना था शादी के बाद लड़की का घर पराया हो जाता है। पर नहीं पता था कि इस कदर पराया हो जाता है जैसे बचपन काContinue reading “किताब”

Two Ducks

It was my first day in the new office. The day, when I saw her for the first time. I don’t remember anything else from that particular day but I still remember that moment, that corner seat, her half-turned neck at my entry, that frisk moment of her straight hair, an innocent mole resting onContinue reading “Two Ducks”

सर्द सुबह

वो ओस से भीगी सड़क,तेज़ हवाओं के बीच,पेड़ों के झुरमुट की झड़प,सर्दियों की सुबह,और सुनसान राहों की तलब। जमीं पर उतर आए बादलों में,हमारा ज़माने से छिप जाना,हाथों में हाथ डाल,तेरा, मेरे कंधे पर झुक जाना,जैसे बसंत में किसी टहनी काफूलों से लद जाना। पर किसी की आहट सुन,तेरा झट से अलग हो जाना,और फिरContinue reading “सर्द सुबह”

अफ़वाह

एक अफवाह है ज़माने में ,के कई मुसीबतें हैं दिल लगाने में ,कुछ आग के दरिया की बात करते हैं,तो कुछ मुहब्बत में फना हो जाने से डरते हैं। सुना है दिल टूटे जो किसी कातो शायर बन जाता है,और मिल जाए मुहब्बत किसी कोतो दुनिया से तर जाता है। ना जाने कुदरत की दीContinue reading “अफ़वाह”

अब लिखने लगा हूँ

ना जाने तुम कहाँ हो, कैसी हो,किस प्रांत, शहर, या देश जा बसी हो?सालों से तुमको सुना नहीं,चेहरा तो याद है अब भी,पर बरसों से तुमको देखा नहीं। वो तीखे नयन,गुस्से क भार उथाए,ऊँची और सिकुड़ती नाक,बड़ा सा बल खाया माथा,उस पर लटकती 1 लट,और वही सुबह की ताज़ी चाय सी मुस्कान,सब कल ही कीContinue reading “अब लिखने लगा हूँ”

ख़ामोश बातें

आज वो मिली तो कुछ चुप चुप सी थी। खामोश, शांत, खोई हुई सी। यूँ तो कार में बैठे चंद मिनट ही बीतेkl थे उसे। पर जो शख़्स 100 शब्द प्रति मिनट की तेज़ी से बात करता हो, वो अगर 5 मिनट भी चुप बैठ जाए तो समझो ज़माना गुजर जाता है। कार की सीटContinue reading “ख़ामोश बातें”